“चिन्नी” कड़ी-०५

Read in English “चिन्नी” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अपनी ममी के गुज़रने के बाद चिन्नी को अपने प्रति निशि चाची के बर्ताव से कभी ममता का आभास नहीं हुआ था. इसलिए उसे आश्चर्य हुआ जब चाची अपनी बहू पर एक सगी माँ की तरह ममता लुटाने लगी. नव दम्पति के हनीमून से लौटते ही चाची जी … More “चिन्नी” कड़ी-०५

“फिर वही चाँद” कड़ी-९

 Read in English “फिर वही चाँद” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी   “गुड मॉर्निंग! प्लीज़ अपनी बेटी से कहिये कि उसके प्लान में एक भी ख़ामी नहीं है,” घंटी बजने पर ईला देवी के दरवाज़ा खोलते ही उस अजनबी ने कहा. इससे पहले कि वह कुछ समझ पातीं, पीछे से अपू की आवाज़ आई, “सर, … More “फिर वही चाँद” कड़ी-९

“चिन्नी” कड़ी-०४

Read in English “चिन्नी” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी खुश थी चिन्नी कि वह रॉयलपुर वापस आ गयी है, और फुटबॉल खेल रही है. ऐसा नहीं था कि जयपुर में नमन के साथ उसने जो किया था, उससे वो शर्मिंदा हो. बिलकुल नहीं. वह तो उसे चाहिए ही था. पर हाँ, दोनों का वह पहली … More “चिन्नी” कड़ी-०४

“फिर वही चाँद” कड़ी-८

 Read in English “फिर वही चाँद” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी   चौधरी स्मारक अस्पताल की नई मैटर्निटी विंग के निर्माण में लगी महिला मज़दूरों में से सबसे ख़ूबसूरत थी ईलांजरी. पर साईट पर कभी कभी पधारने वाले सुकुमार चौधरी के जवान रूपवान ड्राईवर क़ासिम पटवारी को उसकी आँखों की उदासी ने आकर्षित किया था. … More “फिर वही चाँद” कड़ी-८

“चिन्नी” कड़ी-०३

Read in English “चिन्नी” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी     पांच और छ: कोनों वाले सिंथेटिक टुकड़ों की सिलाई करती नसरीन की मशीन की घरघराहट सुनकर चिन्नी हमेशा की तरह आज भी भावुक सी हो गई थी. अपने बच्चे को जन्म देती हुई एक माँ की कराहों की याद दिला रही थी उसे वह … More “चिन्नी” कड़ी-०३

“फिर वही चाँद” कड़ी-७

Read in English “फिर वही चाँद” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी    “नान् एप्पो वरुवेन्, एप्पड़ि वरुवेन्नु यारुक्कुम तेरियादु!” फ़िल्म के शीर्षक पात्र ने अपने आगमनों की अप्रत्याशित समयावली के बारे में शेख़ी बघारकर कहा. सुपरस्टार रजिनिकांत की मशहूर लाईन पिछले दो दशकों की तरह इस इतवार की दोपहर भी उस सिनेमा हॉल में गूंजी … More “फिर वही चाँद” कड़ी-७

“चिन्नी” कड़ी-०२

Read in English “चिन्नी” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी   चिन्नी का मन तो कर रहा था कि वह मिस्टर घुंघराले के पास जाए, उसकी गहरी आँखों में अपनी आँखें डुबोकर कहे, “हाय! मैं दूल्हे की कज़िन हूँ, तुम शायद दुल्हन के कज़िन हो, राईट?” और इससे पहले कि बंदा जवाब दे, ख़ुद ही फिर … More “चिन्नी” कड़ी-०२

“फिर वही चाँद” कड़ी-६

Read in English “फिर वही चाँद” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी     लखनाबाद सैंट्रल ऐवन्यू पर आगे की चढ़ान गाड़ियों से खचाखच भरी हुई थी. हर तरफ़ कारों में बैठे लोग परेशान थे, पर विक्रम पर यह भारी ट्रैफ़िक जैसे दवा का काम कर रहा था. आज इस भीड़ में वह ज़रा कम अकेलापन … More “फिर वही चाँद” कड़ी-६

“चिन्नी” कड़ी-०१

Read in English “चिन्नी” मुखपृष्ठ अगली कड़ी सैमनगर पेनल्टी एरिया के बाहर से दाहिने पैर के एक अविश्वस्वसनीय शॉट से स्कोर बराबर करने के चार मिनट बाद बायीं छोर पर चिन्नी ने एक बार फिर गेंद को अपने कब्ज़े में किया. पर इस बार हीरा और रॉबिन कुछ ज़्यादा ही दूर थे, ऊपर से बुरी … More “चिन्नी” कड़ी-०१

“फिर वही चाँद” कड़ी-४

Read in English “फिर वही चाँद” मुखपृष्ठ पिछली कड़ी अगली कड़ी   चौधरी भवन के कोने कोने तक वह आनंदमयी सुगंध फैली हुई थी. कुटी हुई छोटी इलायची का जादू तो चलना ही था. पीतल की ओखली पर मूसल की लय को बनाए हुए दुग्गादास ने एक नज़र नयनादेवी पर डाली तो ज़रा परेशान हुआ … More “फिर वही चाँद” कड़ी-४